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Saturday, 26 May 2018

प्रेरणादायक हिंदी कहानियां | Hindi Short Stories with moral

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डर अच्छे-अच्छों के छक्के छुडा देता है| एक बहुत पुरानी कहावत हैं जो “डर गया वह मर गया”, और इसी कहावत पर आधारित है हमारी यह कहानी “भय | Hindi Short Stories with moral”


                        भय | Hindi Short Stories with moral


बहुत पुरानी बात है| एक बार एक गाँव से चार मित्र व्यापर करने के उद्देश्य से शहर की और रवाना हुए| शहर गाँव से काफी दूर था| शहर के रास्ते में एक लम्बा जंगल पड़ता था| चलते-चलते चारों थक गए तो कहीं रुकने का आसरा देखने लगे| थोड़ी दूर पर ही एक गाँव था| जैसे-तैसे चारों गाँव की सीमा तक पहुंचें| थोड़ी दूर चलने पर ही उन्हें एक झोंपड़ी दिखाई दी| चारों झोपडी तक पहुंचे और यह सोचकर दरवाजा खटखटाया की यहाँ जो भी रहता होगा वह उन्हें दो रोटी और पानी के लिए मना नहीं करेगा| उन्होंने दरवाजा खटखटाया| द्वार एक वृद्धा ने खोला| राहगीरों को भूखा जानकर वृद्धा ने बड़े स्नेह से चारों को छाछ के साथ भोजन करवाया| वृद्धा को धन्यवाद कहकर चारों फिर अपने रास्ते चल दीये|





राहगीरों के जाने के बाद वृद्धा ने स्वयं के खाने के लिए जैसे ही छाछ उठाई उसे छाछ का रंग लाल नजर आया| उसने दही बिलोंने वाले बर्तन को देखा तो उसे उसमें एक मृत सांप नज़र आया| मृत सांप को देखकर वृद्धा को बहुत दुःख हुआ| उसने सोचा, उन चारों राहगीरों की जान मेरे कारण आज चली गई होगी| अनजाने में मुझसे बहुत बड़ा पाप हो गया है| रात-दिन वृद्धा इसी गम में घुलती रही की उसकी लापरवाही की वजह से चार राहगीरों की जान चली गई|


इधर वे चारों मित्र सकुशल थे| कुछ दिनों में ही काफी धन अर्जित करने के बाद चारों ने अपने गाँव लौटने का निश्चय किया| मार्ग में वे फिर उसी वृद्धा के घर भोजन के लिए रुके| भोजन करने के बाद उन्होंने वृद्धा से कहा – माई! तू हमें भूल गई! हम वे ही है जो कुछ दिनों पहले शहर जाते हुए तेरे घर भोजन के लिए रुके थे|


वृद्धा चारों को जीवित देखकर बहुत खुश हुई और बोली- “में तुम लोगों को सकुशल देखकर आज बहुत खुश हूँ| में तो इतने दिन तुम्हारी चिंता में ही घुले जा रही थी| चारों ने उत्सुकतावश इसका कारण पुछा तो वृद्धा ने कहा – “मेरी असावधानी से उस दिन तुम्हारी छाछ में एक सांप मथा गया था|” वृद्धा के इतना करने पर ही चारों की घबराहट चरम पर पहुँच गई और चारों एक साथ गिरकर म्रत्यु को प्राप्त हो गए|


इसीलिए कहा गया है, “दो डर गया वो मर गया”


Hindi Short Stories with moral



संघठन की शक्ति | Hindi Short Stories with moral


एक बार एक गाँव में एक पिता की चार पुत्र थे| लेकिन चारों की एक दुसरे के साथ जमती ना थी| चारों में हमेशा झगडा होता रहता था| इन झगड़ों की वजह से चारों की शारीरिक और आर्थिक स्थिथि के साथ-साथ बोद्धिक और मानसिक स्थिथि भी ख़राब होती जा रही थी| यह सब देखकर उनके पिता बहुत दुखी थे| पिता ने मरते वक़्त चारों पुत्रों को अपने पास बुलाया और  उन्हें लकड़ी का एक गट्ठर देते हुए कहा, “तोड़ो इसे” | लड़कों ने गट्ठर  इ का भरकस प्रयास किया लेकिन वे गट्ठर को तौड़ ना सके|


अंत में पिता ने चारों को अपने पास बुलाया और गट्ठर की एक-एक लकड़ी को तोड़ने को कहा| लड़कों ने इस बार लकड़ियों को बड़े आराम से तौड़ दिया| तब पिता ने लड़कों को समझाया, कि “यदि लकड़ी के गट्ठर की तरह मिल कर रहोगे तो कोई तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा” और अगर तुम्हारे बिच में फुट रही तो लकड़ियों की तरह ही एक क्षण में नष्ट हो जाओगे|


लड़कों को पिता की बात समझ आ गई और उसी दिन से चारों मिलकर रहने लगे|


Hindi Short Stories with moral



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Love Shayari | प्यार | HIndi Short stories

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Love Shayari






Love Shayari


प्यार


क्या गिले-शिकवे रखते हो, आज़ाद करो मुझे…२
क्या कंजूसी करते हो, दिल खोल कर बर्बाद करो मुझे!





में वक्त नहीं जो गुज़र जाऊंगा, दिन ढलने के बाद…२
खोलो सारे दरवाज़े और आबाद करो मुझे!


मुहोब्बत एक दरिया है, डूबना सभी को है जिसमें…२
क्यों डरते हो मुझसे, कूदो और पार करो मुझे!


छोड़ो सारी दुनिया को पीछे, दुनिया ज़ालिम है…२
में वफादार हूँ, आओ और प्यार करो मुझे!


Love Shayri



 










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Love Shayari | प्यार | HIndi Short stories

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Love Shayari


प्यार


क्या गिले-शिकवे रखते हो, आज़ाद करो मुझे…२
क्या कंजूसी करते हो, दिल खोल कर बर्बाद करो मुझे!





में वक्त नहीं जो गुज़र जाऊंगा, दिन ढलने के बाद…२
खोलो सारे दरवाज़े और आबाद करो मुझे!


मुहोब्बत एक दरिया है, डूबना सभी को है जिसमें…२
क्यों डरते हो मुझसे, कूदो और पार करो मुझे!


छोड़ो सारी दुनिया को पीछे, दुनिया ज़ालिम है…२
में वफादार हूँ, आओ और प्यार करो मुझे!


Love Shayri



 










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पंच रत्न | Hindu Mythology Stories

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हिन्दू ध्रर्म (hindutva) विश्व का सबसे प्राचीन धर्म है| सदियों से हिन्दू धर्म में कई कहानिया, किस्से चलें आएं है जो हमें कहीं ना कहीं जीवन के किसी न किसी पड़ाव में कोई न कोई शिक्षा जरुर दे जाते हैं| उन्हीं कुछ किस्से कहानियों में से एक कहानी पंच रत्न | Hindu Mythology Stories हम आपके बिच लेकर आएं हैं|


                           पंच रत्न | Hindu Mythology Stories



महर्षि कपिल प्रतिदिन पैदल अपने आश्रम से गंगा स्नान के लिए जाया करते थे| मार्ग में एक छोटा सा गाँव पड़ता था| जहाँ पर कई किसान परिवार रहा करते थे| जिस मार्ग से महर्षि गंगा स्नान के लिए जाया करते थे,  उसी मार्ग में एक विधवा ब्राम्हणी की कुटीया भी पड़ती थी| महर्षि जब भी उस मार्ग से गुजरते, ब्राम्हणी या तो उन्हें चरखा कातते मिलती या फिर धान कुटते| एक दिन विचलित होकर महर्षि ने ब्राम्हणी से इसका कारण पूछ ही लिया| पूछने पर पता चला की ब्राम्हणी के घर में उसके पति के अलावा आजीविका चलने वाला कोई न था| अब पति की म्रत्यु के बाद पुरे परिवार के भरण पोषण की ज़िम्मेदारी उसी पर आ गई थी|





कपिल मुनि को ब्राम्हणी की इस अवस्था पर दया आ गई और उन्होंने ब्राम्हणी के पास जाकर कहा, “भद्रे ! में पास ही के आश्रम का कुलपति कपिल हूँ| मेरे कई शिष्य राज-परिवारों से हैं| अगर तुम चाहो तो में तुम्हारी आजीविका की स्थाई व्यवस्था करवा सकता हूँ, मुझसे तुम्हारी यह असहाय अवस्था देखी नहीं जाती|


ब्राम्हणी ने हाथ जोड़कर महर्षि का आभार व्यक्त किया और कहा, “मुनिवर, आपकी इस दयालुता के लिए में आपकी आभारी हूँ, लेकिन आपने मुझे पहचानने में थोड़ी भूल की है| पंच रत्न | Hindu Mythology Stories
ना तो में असहाय हूँ और ना ही निर्धन| आपके शायद देखा नहीं, मेरे पास पांच ऐसे रत्न हैं जिनसे अगर में चहुँ तो खुद राजा जैसा जीवन यापन कर सकती हूँ| लेकिन मैंने अभी तक  उनकी आवश्यकता अनुभव नहीं किया इसलिए वह पांच रत्न मेरे पास सुरक्षिक रखे हैं| 


कपिल मुनि विधवा ब्राम्हणी की बात सुनकर आश्चर्यचकित हुए और उन्होंने कहा, “भद्रे ! अगर आप अनुचित न समझे तो आपके वे पांच बहुमूल्य रत्न मुझे भी दिखाएँ| देखू तो आपके पास कैसे बहुमूल्य रत्न है ?


ब्राम्हणी ने आसन बीचा दिया और कहा, “मुनिवर आप थोड़ी देर बैठें, में अभी आपको मेरे रत्न दिखाती हूँ| इतना कहकर ब्राम्हणी फिर से चरखा कातने लगी| थोड़ी देर में ब्राम्हणी के पांच पुत्र विद्यालय से लौटकर आए| उन्होंने आकर महर्षि और माँ के पैर छुए और कहा . “माँ ! हमने आज भी किसी से झूंठ नहीं बोला, किसी को कटु वचन नहीं कहा, गुरुदेव ने जो सिखाया और बताया उसे परिश्रम पूर्वक पूरा किया है|


महर्षि कपिल को और कुछ कहने की आवश्यकता नहीं पड़ी| उन्होंने ब्राम्हणी को प्रणाम कर कहा, “भद्रे ! वाकई में तुम्हारे पास अति बहुमूल्य रत्न है, ऐसे अनुशाषित बच्चे जिस घर में हो, जिस देश में हो उसे चिंता करने की आवश्यकता ही नहीं है|


पंच रत्न | Hindu Mythology Stories



पढ़ें:- साँस-बहु के बिच के रिश्ते को सम्हालती एक ननद की कहानी  “ननंद”

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